पूजा में अवश्य करें गौरी, गणेश, कलश, नवग्रह स्थापना, इनके बिना कोई भी पूजा सम्पन्न नहीं होती । बहुत ही महत्वपूर्ण बातें जो हिन्दू पूजा पध्दति में की जाती है, से सम्बंधित तथ्यों के बारे में आपको जानकारी देंगे। जिन्हें सभी को जानना बहुत जरूरी है।
हमारे प्रत्येक घरों में पूजा तो हर कोई करता है। किंतु पूजा का एक स्वरूप होता है। जिसे भक्ति भाव उतपन्न होते हैं। विधिवत किया गया कोई भी कार्य अच्छे परिणाम देता है। वैसे विधिवत की गई पूजा का विशेष महत्व होता है।
हमारा देश त्यौहारों का देश है यहां बारह महीनों में अनेकों पूजा , व्रत व त्यौहार आते ही रहते हैं, ऐसे में हर समय पुरोहित बुलाना सम्भव नहीं हो पाता। इसीलिए यह आर्टिकल आपके लिए बहुत मददगार होगा। इसमें पूजा की तैयारी से सम्बंधित समस्त आवश्यक जानकारी है, अतः इसे अंत तक अवश्य पढें। इसमें आप पाएंगे –
- कलश स्थापना कैसे की जाती है ?
- गौरी गणेश स्थापना विधि !
- नवग्रह की स्थापना कैसे करें ?
- पन्चामृत कैसे बनाते हैं ?
- पञ्चमेवा क्या हैं ?
- रंगोली का महत्व!
- भगवान की पूजा करने के लाभ या फायदे !
- प्रत्येक पूजा करने का सही तरीका क्या है !
पूजा में अवश्य करें कलश स्थापना !
कलश स्थापना कैसे की जाती है
- कलश विभिन्न प्रकार से तैयार किए जाते हैं । जिसमें एक है ज्योति कलश !
- दूसरा है श्रीफल कलश या श्रीकलश और तीसरा है दुर्गा पूजा कलश !
- कलश तैयार करने के लिए कांसे , तांबे का लोटा या मिट्टी का लोटे जैसा छोटा घड़ा ले ले ।
- अब लोटे के अंदर पंचरत्न ( नीलम हीरा पद्मराग(पुखराज ), मोती मूंगा)कलश में डाले जाते हैं।
- फिर सर्वौषधि डालें। ( आयुर्वेद में ओषधियों का एक वर्ग जिसके अंतर्गत दस जड़ी बूटियाँ हैं। उन्हें सर्वोषधि कहते है
- जो- राजनिघंटु के अनुसार कुष्ठ, मांसी, हरिद्रा, वचा, शैलेय, चंदन, मुरा, रक्त चंदन, कर्पूर और मुस्तक तथा
- शब्दचंद्रिका के अनुसार मुरा, माँसी, वचा, कुष्ठ, शैलेय, रजनी द्वय, शटी चंपक और मोथा इस वर्ग में गिनाई गई हैं।
- फिर सप्तनदियों ( गंगा, यमुना, गोदावरी,सरस्वती, नर्मदा, सिंधु, कावेरी) का जल डाले,
- यदि न हो तो शुद्ध जल में गंगाजल मिलाकर सातों नदियों का स्मरण कर जल में उपस्थित होने की प्रार्थना करें।
- यथा- गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती । नर्मदे सिंधु कावेरी जलेस्मिन सन्निधिम कुरु।।
अथवा
- उपरोक्त वस्तुओं की अनुपस्थिति में इलाइची सुपारी पान हल्दी की गांठ इत्र थोड़े से अक्षत 2 सिक्के,
- थोड़ा सा इत्र डाल दें। तत्पश्चात इसमें सातों नदियों का स्मरण करते हुए जल डालें।
- (गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती नर्मदे सिंधु कावेरी) कुछ मात्रा में गंगाजल डालकर आवाहन करें ।
- ओम वरुणाय नमः इस प्रकार जल देवता का आवाहन करते हुए हम उस कलश में यह कल्पना करें ,
- कि हमने सातों नदियों का जल उस कलश में भर के और जल देवता का आव्हान किया हुआ है,
- अब लोटे की गर्दन में कलावा बाांधेंगे जिसे रक्षा सूत्र भी कहते हैं ।
- यह लाल और पीले रंग का कच्चा धागा होता है, उसको कलावा भी कहते हैं।
- उसे हम तीन बार घुमाकर और तीन गांठ लगाकर लोटे के गले में बांध देंगे ।
- इसके पश्चात पंच पल्लव बड़, पीपल, गूलर, आम और अशोक। ये पांच पत्ते कलश में रखेंगे।
- यदि यह ना हो तो आम की पांच पत्तियां लेकर कलश में रखेंगे ।
- उसके ऊपर एक कटोरी या दिया या प्लेट रखेंगे । फिर उसमें सप्तधान्य रखे जाते हैं।
- सप्तधान्य से मतलब 7 तरह के अनाज से उस कटोरी को भर दिया जाता है
- और ना होने की स्थिति में अक्षत चावल लेकर के उस कटोरी को भर दे।
- उसके ऊपर फिर दीपक जलाया जाता है । जिसे ज्योति कलश कहते हैं।
पूजा में अवश्य करें श्रीकलश स्थापना !
- इसी कलश में दीपक के स्थान पर लाल कपड़े में लपेटकर नारियल रखने से यह श्री कलश कहलाता है।
- जो लक्ष्मीपूजा में तैयार किया जाता है। इस तरह पूजा में अवश्य करें कलश स्थापना ।
पूजा में अवश्य करें ज्योति कलश स्थापना !
- प्रत्येक पूजा के प्रारंभ में ज्योति कलश इसलिए रखा जाता है कि यह ज्योति एकमात्र साक्षी होती है,
- हमारी संपूर्ण पूजा की और ईश्वर के प्रति हमारी श्रद्धा की ।
- इसीलिए दीपक जलाने के पश्चात ही कोई भी पूजा प्रारंभ की जाती है ।
- अतः ज्योतिकलश की स्थापना प्रत्येक पूजा में अवश्य करें।
पूजा में गौरी-गणेश की स्थापना अवश्य करें !
- कलश स्थापना के बाद पूजा में गौरी गणेश की स्थापना अवश्य करें ।
- गौरी गणेश बनाने के लिए खड़ी सुपारी और खड़ी हल्दी का भी प्रयोग किया जाता है ।
- जिसमें हल्दी में रक्षासूत्र लपेटकर गौरी जी और गणेश जी को सुपारी में रक्षासूत्र लपेट कर तैयार करते हैं ।
- इस प्रकार गौरी गणेश की स्थापना एक पान के पत्ते में या केला की पत्ती में या
- आम के पत्ते में किसी भी पत्ते में रख कर के और इनकी स्थापना की जाती है। ।
- इसके अलावा पिसी हल्दी , चावल पीसकर , बालू मिट्टी या गाय के गोबर से भी गौरी गणेश बनाये जाते है ।
- इस तरह से विभिन्न पवित्र वस्तुओं से गौरी गणेश की स्थापना कर सकते हैं और उनकी पूजा की जाती है।
- पूजा में सर्वप्रथम कलश जलने के पश्चात गौरी गणेश की स्थापना अवश्य करें।
- निर्विघ्न पूजा सम्पन्न हो इस उद्देश्य से सर्वप्रथम गौरी गणेश की पूजा ही की जाती है ।
पूजा में अवश्य करें नवग्रह स्थापना !
- तत्पश्चात नवग्रह की बारी आती है नवग्रह में सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु, केतु होते हैं ।
- इस प्रकार यह नवग्रह पूजा में अवश्य स्थापित करें। इसके लिए सर्वप्रथम रंगोली, आटे या चॉक से एक चौकोर आयत बना लेते हैं जिसमें क्रमश नौ खंड बनाते हैं ।
- नवग्रह मंडल बनाने के लिए ऊपर चित्र में दर्शाए अनुसार 4 खड़ी लाइन एवं 4 आड़ी लाइन खींच कर
- एक आयत जैसा तैयार करते हैं । जिसके प्रत्येक खंड में हमें ग्रहों को बैठाना है।
- मध्य में सूर्य को विराजित करते हैं, आग्नेय कोण में चंद्रमा को, दक्षिण में मंगल को, ईशान में बुध को,
- उत्तर में बृहस्पति को, पूर्व में शुक्र को, पश्चिम में शनि को, नैऋत्य में राहु को, और वायव्य में केतु को स्थापित करें।
- अब इसमें नौ ग्रहों के रंगो के आधार पर हम अक्षत को अलग-अलग कलर में रंग सकते हैं।
- चंद्र के लिए श्वेत अक्षत ,मंगल के लिए लाल अक्षत, बुध के लिए हरे अक्षत, गुरु के लिए पीले अक्षत,
- शुक्र के लिए सफेद अक्षत, शनि के लिए काले अक्षत, राहु और केतु के लिए काले अक्षत लेकर बताए हुए स्थानों में
- क्रमशः उन्हीं के कलर के अक्षतों को रखते हुए नवग्रह की स्थापना करें एवं निम्न मंत्र का जाप भी करें।
- ओम ब्रह्मा मुरारी त्रिपुरांतकारी ,भानु शशि भूमि सुतो बुध्दोस्च । गुरुस्च शुक्र: शनि राहु केतुव:, सर्वे ग्रह: शांति करा भवंतु ।।
- इस प्रकार नवग्रह की स्थापना की जाकर षोडशोपचार से नवग्रह की पूजा करनी चाहिए ताकि
- यह समस्त ग्रह मिलकर हमारे जीवन में सुख शांति लाएं एवं हमारी पूजा को निर्विघ्न संपन्न करावे ।
- अतः पूजा में अवश्य करें नवग्रह की भी पूजा अवश्य करें ।
पंचामृत क्या है ? इसे कैसे बनाते हैं!
पूजा में पंचामृत अवश्य तैयार करें !
- पंचामृत में दूध , दही , घी, शहद, शक्कर मूलतः इन 5 चीजों का मेल ही पंचामृत कहलाता है।
- एक कटोरी दूध, एक कटोरी दही , आधा चम्मच घी ,दो चम्मच शहद , एवं शक्कर मिलाकर ,
- चम्मच से अच्छे से मिलाया जाता है, जिसे पंचामृत कहते हैं।
- पंचामृत से भगवान को स्नान कराया जाता है और फिर उसी पंचामृत को सभी लोग प्रसाद ग्रहण करते हैं।
पूजा में अवश्य करें पञ्चमेवा समर्पित !
- पंचमेवा में काजू, बादाम, किशमिश,छुआरा, नारियल ऐसे पांच तरह के मेवा होते हैं ।
- जिन्हें भगवान को अर्पित किया जाता है कुछ लोग पंचामृत में ही पंचमेवा मिला देते हैं
- और उसे प्रसाद के रूप में वितरित करते हैं ।
- लेकिन यह हमेशा ध्यान रखें कि स्नान कराते समय पंचामृत से ही स्नान कराएं।
- पंचमेवा का भोग लगाया जाता है ।
- उसको पंचामृत में मिला करके फिर प्रसाद के रूप में बांटना चाहिए ना कि
- पंचामृत में ही पंचमेवा डालकर भगवान को स्नान करा दे ऐसा नहीं करना चाहिए।
पूजा वाले दिन रंगोली सजाना कभी न भूलें !
- रंगोली अत्यंत ही शुभ मानी जाती है ।
- अत: कलश स्थापना के नीचे आटे से, चावल से, पुष्प से, या रंगोली से विभिन्न तरह से, अष्ट कमल दल के रूप में ,
- रंगोली बनाकर उस पर कलश की स्थापना की जाती है।
- इसी प्रकार मुख्य द्वार पर भी पूजा के दिनों में अवश्य रंगोली से सजावट करें ।
- इस तरह शोभायमान घरों में ईश्वर निश्चित पहुंचते हैं। ऐसा माना जाता है कि एक विशेष मुहूर्त में पूजा के दिनों में,
- देवी-देवता अपना भाग ग्रहण करने के लिए निकलते हैं और जिस घरों में सुंदर रंगोली हो , सुगंधी , धूप, दीप ,
- नैवेद्य की खुशबू बिखर रही हों, तो देवता उधर आकर्षित हो करके और उन घरों पर जाकर अपना भाग लेते हैं
- और घरवालों को आशीर्वाद देते हैं । इसीलिए पूजा के दिनों में घर के समस्त साज सजावट अवश्य करें ।
- इस प्रकार कलश, गौरी गणेश, नवग्रह इत्यादि स्थापित करके विधिवत प्रत्येक पूजा की जानी चाहिए।
- तभी पूजा का सम्पूर्ण लाभ मिलता है।
पूजा में विघ्नहर्ता श्री गणेश जी की पूजा अवश्य करें ।
- विघ्न विनाशक गणेश की पूजा के बिना कोई भी पूजा यदि प्रारंभिक की जाती है तो उसमें विघ्न अवश्य होता है।
- अतः अपनी माता के साथ विराजित श्रीगणेश की सर्वप्रथम पूजा करने के पश्चात ही कोई भी पूजा प्रारंभ करनी चाहिए।
पूजा करने का तरीका !
- सबसे पहले कलश जलाकर, गौरी गणेश स्थापित करके, नवगृह स्थापित करें ।
- प्रथम कलश की पूजा करें, फिर श्री गणेश गौरी की पूजा करें और फिर नवग्रह की षोडशोपचार पूजा करके,
- तत्पश्चात मुख्य देवता जिनका दिन हो या जिनकी विशेष पूजा होनी है , उनकी पूजा की जानी चाहिए।
- इस प्रकार विधिवत सभी का भाग देते हुए जब हम कोई भी पूजा को संपन्न करते हैं,
- तो उस पूजा का विशेष फल प्राप्त होता है और इसके साथ ही यह सब आयोजन मात्र इसीलिए हैं कि हमारा
- उस देवी देवता के प्रति उस पूजा के प्रति एक आकर्षण और एकाग्रता ,चित्त की स्थिरता बनी रहती है ।
- जिससे हम पूरे समर्पण भाव से ईश्वर के प्रति अपनी आस्था प्रकट करते हैं ,धन्यवाद प्रकट करते हैं ।
- इसीलिए पूजा में जल्दबाजी कभी भी ना करें, बहुत शांत एवं स्थिर चित्त से होकर पूरे विधि-विधान से ही पूजा करें।
- यदि ऐसा ना हो सके तो मात्र भगवान का स्मरण करके हाथ जोड़कर
- और प्रणाम करके भी आप उस स्थान से हट सकते हैं । भगवान भावना से प्रसन्न होते हैं, कर्मकाण्ड से नहीं।
विधिवत पूजा से जीवन मे होते हैं चमत्कार !
(पूजा करने के लाभ या फायदे )
- यदि आप विधिवत पूजा करते हैं तो इससे आप के मन मस्तिष्क के साथ-साथ परिवार का,
- आप के आस पास का, और आपके समाज का पूरा माहौल एक पवित्रता की भावना से भर उठता है ,
- और वायुमंडल में इस प्रकार की पूजा की सामग्रियों से उठने वाला धुआं और
- घंटों, मृदङ्ग ,ढोलक व अन्य वाद्य यंत्रों की थाप हाथ से वातावरण के कीटाणु भी नष्ट होते हैं।
- नकारात्मकता और अशांति भी दूर होती हैं। इस प्रकार आप जीवन में खुशहाली महसूस करते हैं ।
- अतः प्रत्येक माह में पड़ने वाली कोई भी एक पूजा (एकादशी या पूर्णिमा ) अवश्य करें ।
- इस प्रकार विधिवत करने से आप इसके लाभ और चमत्कार को अवश्य देखेंगे ।
- पूजा केवल भावनाओं का खेल है । जितनी भावनाओं से, श्रद्धा से आप पूजा करते हैं,
- उतना ही सुपरिणाम, उतनी ही सफलता आप इसमें प्राप्त करते हैं।
- इसके अलावा आने वाली पीढ़ी को भी अपनी धरोहर , अपने धर्म कर्म, संस्कृति का ज्ञान भी स्थानांतरित करते हैं।
- अन्यथा धीरे धीरे सारी बातें विलुप्त होती जाएगी। अतः इसे अवश्य शेयर करें। ।
- आपको यह जानकारी कैसे लगी , आपके विचार भी हमे अवश्य शेयर करें।
नमस्कार! मैं रेखा दीक्षित एडवोकेट, मैं एडवोकेट ब्लॉगर व युट्यूबर हूं । अपने प्रयास से अपने पाठकों के जीवन की समस्याओं को दूर कर ,जीवन में उत्साह लाकर खुशियां बांटना चाहती हूँ। अपने अनुभव एवं ज्ञान के आधार पर मैंने अपने ब्लॉक को सजाया संवारा है, जिसमें आपको योग ,धार्मिक, दर्शन, व्रत-त्योहार , महापुरुषों से संबंधित प्रेरक प्रसंग, जीवन दर्शन, स्वास्थ्य , मनोविज्ञान, सामाजिक विकृतियों, सामाजिक कुरीतियां,धार्मिक ग्रंथ, विधि संबंधी, जानकारी, स्वरचित कविताएं एवं रोचक कहानियां एवं स्वास्थ्य संबंधी जानकारियां उपलब्ध हो सकेंगी । संपर्क करें : info.indiantreasure@gmail.com
Very nice!!!
Thankyou so much
Very good information…??
Thankyou so much?
Right information about pooja
Thankyou so much?
बहुत अच्छे से आपने बताया है पूजा की विधि सामग्री का विवरण
Thankyou so much?
Om Gan Ganpatye Namo Namah!??
Thankyou
Very nice